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Wednesday, 3 June 2020

अकादमिक दृष्टि से करोना काल के कुछ सकारात्मक पक्ष ।

अकादमिक दृष्टि से करोनाकाल के कुछ सकारात्मक पक्ष।

सकारात्मक पक्ष :
1. जिस विश्व व्यवस्था की अंधी दौड़ में हम शामिल थे उसके प्रति एक निराशा भाव जागृत होना ।
2. ग्लोबल के बदले लोकल के महत्व को हम समझ सके । इसकी स्वीकार्यता बढ़ी ।
3. आत्मनिर्भरता को नए तरीके से समझने की पहल शुरू हुई । हमारी आत्मकेंद्रियता  आत्मविस्तार के लिए प्रेरित हुई ।
4. तकनीक का शैक्षणिक क्षेत्र में बोलबाला बढ़ा । ऑनलाईन व्याख्यानों, वेबिनारों इत्यादि की बाढ़ सी आ गई ।
5. सोशल मीडिया पर  गंभीर अकादमिक दखल बढ़े ।
6.  अध्ययन अध्यापन से जुड़ी सामग्री बड़े पैमाने पर  इंटरनेट पर उपलब्ध हो सकी ।
7. ऑनलाईन व्याख्यानों, कक्षाओं इत्यादि से जिम्मेदारी और पारदर्शिता दोनों बढ़ी ।
8. घर से कार्य / work from home  अधिक व्यापक और व्यावहारिक रूप में दिखाई पड़ा ।
9. तकनीक का बाज़ार अधिक संपन्न हुआ ।
10. रचनात्मक कार्यों में रुचि बढ़ी ।
11. करोना काल को लेकर अकादमिक शोध और चिंतन की नई परिपाटी शुरू हुई ।
12. ऑनलाईन शिक्षा नए विकल्प के रूप में अधिक संभावनाशील होकर प्रस्तुत हुई ।
13. अकादमिक गुटबाज़ी और लिफाफावाद की संस्कृति क्षीण हुई ।
14. अकादमिक आयोजनों में पूंजी का हिस्सा कम हुआ ।
15. पत्र पत्रिकाओं के ई संस्करण निकले जो अधिकांश मुफ़्त में उपलब्ध कराए गए ।
16. भारतीय भाषाओं के तकनीकी प्रचार प्रसार को बल मिला ।
17. शिक्षकों के शिक्षण प्रशिक्षण का अकादमिक खर्च कम हुआ ।
18. सामाजिक भाषाविज्ञान की नई अवधारणाएं  शोधपत्रों एवं आलेखों के माध्यम से प्रस्तुत हुईं ।
19. ऑनलाईन पुस्तकालयों का महत्व बढ़ा ।
20. लिखे हुए और कहे हुए के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी ।
21. पारिवारिक मनोविज्ञान और "स्पेस सिद्धांतों" को लेकर नई अकादमिक चर्चाओं ने जोर पकड़ा ।
22. धार्मिक मान्यताओं, परम्पराओं इत्यादि को करोना काल में नए संदर्भों के माध्यम से प्रस्तुत करने की पुरजोर कोशिश लगभग सभी धर्म और पंथों के लोगों ने की ।
23. लोक कलाओं और संगीत के बड़े आयोजन ऑनलाईन किए गए ।
24. मोबाईल अपनी स्क्रीन से स्क्रीनवाद का प्रणेता  बनकर उभरा ।
25. नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम, ज़ी फाइव, मैक्स प्लयेर, अल्ट बालाजी और डिजनी हॉट स्टार की वेब सिरीज़ सिनेमाई जादूगरी की को दुनियां है जो लॉक डॉउन के बीच अधिक लोकप्रिय रही । सिनेमा और लोकप्रियता के अकादमिक अध्ययन को इन्होंने नई चुनौती दी ।
26. वैक्सीन /  के शोध और उत्पादन की क्षमता में क्रांतिकारी  बदलाव के संकेत मिले ।
27. साफ़ सफ़ाई और स्वच्छता को लेकर जागरुकता न केवल बढ़ी अपितु व्यवहार में भी परिवर्तित हुई । इस पर गंभीर लेखन कार्य भी बढ़ा ।
28. दूरस्थ शिक्षा संस्थानों एवं उनकी प्रणालियों का महत्व बढ़ा ।
29. प्रवासी भारतीय मजदूरों को लेकर भी साहित्य प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हुआ ।
30. करोना काल का पर्यावरण एवं प्रदूषण पर प्रभाव को लेकर भी कई शोध पत्र सामने आए जिनकी व्यापक चर्चा भी हुई ।
31. नए तकनीकी जुगाड इजाद होने लगे जिससे कम से कम खर्चे में अकादमिक गतिविधियों को संचालित किया जा सके या उनमें शामिल हुआ जा सके ।
32. फेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया के लोकप्रिय माध्यम अकादमिक गतिविधियों के बड़े प्लेटफॉर्म बनकर उभरे ।
33. तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली बड़ी कंपनियों में स्पर्धा बढ़ी जिसका फायदा अकादमिक जगत को हुआ ।
34. ऑनलाईन लेनदेन की प्रवृति बढ़ी जिससे ऑनलाईन वित्तीय प्रबंधन और कॉमर्स को लेकर नए डेटा के साथ शोध कार्यों की अच्छी दखल देखने को मिली ।
35. रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में आयुर्वेदिक नुस्खे खूब पढ़े गए और वैश्विक स्तर पर इनपर नए शोध कार्यों की संभावना को बल मिला ।
36. पारिवारिक और सामाजिक संबंधों पर करोना काल के प्रभाव को लेकर समाज विज्ञान में नई अकादमिक बहसों और मान्यताओं/ संकल्पों इत्यादि की चर्चा जोर पकड़ने लगी ।
37. कई अनुपयोगी और बोझ बन चुकी सामाजिक मान्यताओं और परंपराओं का अंत हो गया जिसे साहित्य की अनेकों विधाओं के माध्यम से लेखकों, चिंतकों ने सामने भी लाया ।
38. शिक्षक और विद्यार्थी अधिक प्रयोगधर्मी हुए ।
39. तकनीक के माध्यम से "टीचिंग टूल्स" का प्रयोग बढ़ा ।
40. शिक्षण प्रशिक्षण सामग्री का "इनपुट" और "आऊट पुट" दोनों बढ़ा ।
41. मौलिकता और कॉपी राईट को लेकर भी नए सिरे से अकादमिक गतिविधियों की शुरुआत हुई ।
42. शुद्धतावाद को किनारे कर के तमाम भारतीय भाषाओं ने दूसरी भाषा के कई शब्दों को आत्मसाथ किया । फ़िर इन शब्दों का भारतीयकरण होते हुए उसके कई रूप और अर्थ विकसित होने लगे ।
43. गोपनीय समूह भाषाओं और समूह गत आपराधिक भाषाओं में करोना काल के कई शब्दों का उपयोग बढ़ा जो अध्ययन और शोध की एक नई दिशा हो सकती है ।
44. सरकारी नीतियों और योजनाओं में आमूल चूल परिवर्तन हुए जो भविष्य की राजनीति और अर्थवयवस्थाओं के परिप्रेक्ष्य में किए गए । इनकी गंभीर और व्यापक चर्चा अर्थशास्त्र और वाणिज्य के क्षेत्र में शुरू हुई है ।
45. वैश्विक राजनीति की दशा और दिशा दोनों में बड़े व्यापक बदलावों की चर्चा भी राजनीति शास्त्र के नए अकादमिक विषय बने ।
46. भविष्य में शिक्षक और शिक्षण संस्थानों की स्थिति और उनकी भूमिका को लेकर भी गंभीर चर्चाएं शुरू हुई ।
47. देश में परीक्षा प्रणाली में सुधार और बदलाव दोनों को लेकर चर्चा तेज हुई ।
48. COVID 19  के विभिन्न पक्षों पर शोध के लिए सरकारी गैर सरकारी संगठनों / संस्थानों द्वारा आवेदन मंगाए गए ।
49. बड़े स्तर पर अकादमिक संस्थानों में आपसी ताल मेल बढ़ा ।
50. अंतर्विषयी संगोष्ठियों एवं शोध कार्यों को अधिक मुखर होने का मौका मिला ।

                       डॉ मनीष कुमार मिश्रा
                       के एम अग्रवाल महाविद्यालय
                       कल्याण पश्चिम, महाराष्ट्र
                       www.manishkumarmishra.com
                       manishmuntazir@gmail.com