Showing posts with label अमरकांत. Show all posts
Showing posts with label अमरकांत. Show all posts

Tuesday, 12 May 2009

अमरकांत के साथ अन्याय क्यो ?

नई कहानी आन्दोलन से अपनी लेखन यात्रा शुरू करने वाले कथाकार अमरकांत आज भी एक सच्चे साधक और तपस्वीय की तरह अपनी साहित्य यात्रा जारी रखे हुए हैं । तमाम शारीरिक और आर्थिक परेशानियों के बाद भी । अमरकांत नई कहानी आन्दोलन से लिखना जरूर प्रारम्भ करते हैं लेकिन उनके साहित्यिक मूल्यांकन के लिये उन्हे नई कहानी आन्दोलन की परिधि मे बाँधना तर्क सांगत नही है ।
१ जुलाई १९२५ को बलिया मे जन्मे अमरकांत की पहली कहानी १९५३ के आस-पास कल्पना नामक पत्रिका मे छपी । इस कहानी का नाम था -इंटरव्यू । अमरकांत की जो कहानिया बहुत अधिक चर्चित हुई ,उनमे निम्नलिखित कहानियों के नाम लिये जा सकते हैं-

  1. जिंदगी और जोंक
  2. डिप्टी कलेक्टरी
  3. चाँद
  4. बीच की जमीन
  5. हत्यारे
  6. हंगामा
  7. जांच और बच्चे
  8. एक निर्णायक पत्र
  9. गले की जंजीर
  10. मूस
  11. नौकर
  12. बहादुर
  13. लड़की और आदर्श
  14. दोपहर का भोजन
  15. बस्ती
  16. लाखो
  17. हार
  18. मछुआ
  19. मकान
  20. असमर्थ हिलता हाँथ
  21. संत तुलसीदास और सोलहवां साल

इसी तरह अमरकांत के द्वारा लिखे गये उपन्यास निम्नलिखित हैंपत्ता

  1. कटीली राह के फूल
  2. बीच की दीवार
  3. सुखजीवी
  4. काले उजले दिन
  5. आकाश पछी
  6. सुरंग
  7. बिदा की रात
  8. सुन्नर पांडे की पतोह
  9. इन्ही हथियारों से
  10. ग्राम सेविका
  11. सूखा पत्ता
  12. इस तरह करीब १२० से अधिक कहानिया और १२ के करीब उपन्यास अमरकांत के प्रकाशित हो चुके हैं । लेकिन दुःख होता है की इतने बडे कथाकार को हिन्दी साहित्य मे वह स्थान नही मिला जो उन्हे मिलना चाहिये था । आलोचक प्रायः उनके प्रति उदासीन ही रहे हैं । ऐसे मे अब यह जरूरी है की अमरकांत का मूल्यांकन नए ढंग से किया जाए ।

sample research synopsis

 Here’s a basic sample research synopsis format you can adapt, typically used for academic purposes like thesis proposals or project submiss...