१ जुलाई १९२५ को बलिया मे जन्मे अमरकांत की पहली कहानी १९५३ के आस-पास कल्पना नामक पत्रिका मे छपी । इस कहानी का नाम था -इंटरव्यू । अमरकांत की जो कहानिया बहुत अधिक चर्चित हुई ,उनमे निम्नलिखित कहानियों के नाम लिये जा सकते हैं-
- जिंदगी और जोंक
- डिप्टी कलेक्टरी
- चाँद
- बीच की जमीन
- हत्यारे
- हंगामा
- जांच और बच्चे
- एक निर्णायक पत्र
- गले की जंजीर
- मूस
- नौकर
- बहादुर
- लड़की और आदर्श
- दोपहर का भोजन
- बस्ती
- लाखो
- हार
- मछुआ
- मकान
- असमर्थ हिलता हाँथ
- संत तुलसीदास और सोलहवां साल
इसी तरह अमरकांत के द्वारा लिखे गये उपन्यास निम्नलिखित हैंपत्ता
- कटीली राह के फूल
- बीच की दीवार
- सुखजीवी
- काले उजले दिन
- आकाश पछी
- सुरंग
- बिदा की रात
- सुन्नर पांडे की पतोह
- इन्ही हथियारों से
- ग्राम सेविका
- सूखा पत्ता
- इस तरह करीब १२० से अधिक कहानिया और १२ के करीब उपन्यास अमरकांत के प्रकाशित हो चुके हैं । लेकिन दुःख होता है की इतने बडे कथाकार को हिन्दी साहित्य मे वह स्थान नही मिला जो उन्हे मिलना चाहिये था । आलोचक प्रायः उनके प्रति उदासीन ही रहे हैं । ऐसे मे अब यह जरूरी है की अमरकांत का मूल्यांकन नए ढंग से किया जाए ।