मैं तो टूटा उतना ही,
जितना तोडा गया मुझे.
लेकिन मेरे सपनों का,
टूटना लगभग नामुमकिन है .
जितना जादा सज्जन था,
उतने ही दुर्जन मिले मुझे.
लेकिन मुझको बदल पाना ,
उनके लिए ना संभव था .
सच्चाई क़ी राह पे मैं,
यद्यपि बिलकुल तनहा रहा .
लेकिन किसी का कोई डर,
मन में मेरे रहा ना अंदर .
अपनी शर्तों पर जीना,
रहा मेरा जीवन नियम .
चका-चौंध इस दुनिया क़ी,
भरमा ना पाई मुझे कभी .
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Wednesday, 10 March 2010
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