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Sunday, 4 July 2010

किन संग वक़्त गुजरता तेरा किन संग तू दिन भर रहता है /


मोहक मुस्कान में तेरी मैंने खुद को खोया था ,
याद नहीं तुझको वो लम्हे जब तू मेरी बाँहों में सोया था ;
क्यूँ मैं जानू अब तू किनके सपनों में रहता है ,
किनसे बातें किसका साथ किसकी खुसबू से तू महकता है ;
आज तुझे कौन है प्रिय क्या करना है मुझे प्रिये ;
किससे मिलना तुझको प्यारा क्यूँ मै जानू आज प्रिये ;
अब भी याद मुझे वो दिन है जब तुझसे मै लड़ता था ,
क्या जानता है तू मै रातों में कितना रोया karata   था ;
आखं वही है, ह्रदय वही है मेरे दिल के जजबात वही है ,
प्यास वही है ,आस वही है ,मेरे मन के हालात वही है ,
क्यूँ मैं जानू किन संग तू रमता है कौन तेरे भावों में रहता है ,
किन संग वक़्त गुजरता तेरा किन संग तू दिन भर रहता है /