वह बहुत याद आ रहा है ।
अपने पास बुला रहा है ।
हर पल खयालो मे आकर ,
गम जुदाई का बढ़ा रहा है ।
उसके हाथ मे है मेरी डोर ,
जैसे चाहे वैसे नचा रहा है ।
मैने तो मना किया था लेकिन,
शाकी जाम पे जाम पिला रहा है ।
मिलने पर अब पहचानता नही,
वह इस तरह मुझे जला रहा है ।
कुछ रब ने ठान रक्खी है शायद ,
बार-बार उन्ही से मिला रहा है ।
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