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Friday, 8 March 2024

आठ मार्च , विश्व महिला दिवस मनाते हुए

 वैसे तो नाज़ुक है लेकिन फौलाद ढालना जानती है

वोअपने आंचल से ही ये दुनियां संवारना जानती है।


दुनियां बसाती है जो दिल में मोहब्बत को बसाकर

वो अपनी नज़रों से ही बद नजर उतारना जानती है।


सजाने संवारने में उलझी तो बहुत रहती है लेकिन

गोया जुल्फों की तरह सबकुछ सुलझाना जानती है।


ऐसा नहीं है कि उसके आस्तीन में सांप नहीं पलते

पर ऐसे सांपों का फन वो अच्छे से कुचलना जानती है।


हर एक बात पर रोज़ ही अदावत अच्छी नहीं होती

इसलिए रोज़ कितना कुछ वो हंसकर टालना जानती है।


आठ मार्च विश्व महिला दिवस मनाते हुए याद रहे कि 

प्रकृति समानता सहअस्तित्व को ही निखारना जानती है।


डॉ मनीष कुमार मिश्रा

विजिटिंग प्रोफेसर (ICCR हिंदी चेयर )

ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज

ताशकंद, उज़्बेकिस्तान 





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