यंहा उन खबरों का हवाला है जिनके माध्यम से यह साबित होगा की हिन्दी के लेखको की आर्थिक स्थिति कितनी गड़बड़ रही है । साथ ही साथ यह भी समझना होगा की परिवार के लोगो द्वारा बीमारी के नाम पर पैसा बटोरना कहा तक सही है । आप जो खबर नीचे अंग्रजी में पढ़ रहे हैं ,उसका सम्बन्ध हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार अमरकांत से है ।
http://news.oneindia.in/2008/05/03/aid-for-ailing-hindi-writer-1209801777.html
Saturday, May 03 2008 13:08(
IST) 
Bhopal, May 3: Noted Hindi writer 
Amarkant, who was ailing for a long time, has been provided financial assistance of Rs one 
lakh by 
Madhya Pradesh Chief Minister 
Shivraj Singh 
Chouhan.The 83-year-old prolific writer is a recipient of 
Madhya Pradesh Government's National 
Maithili Sharan Samman.
Wishing him fast recovery, Mr 
Chouhan stresed on the 
ned to take care of the health and problems of the writers, official sources said.Mr 
Amarkant has a number of novels to his 
credit including the famous book entitled '
Sukhjeevi'. His story collection '
Zindagi Aur Jaunk' is very popular. He has also penned many stories for children.He is recipient of various prestigious awards, including the Soviet Land Nehru Award, 
Yashpal award, Jan 
Sanskriti Samman and has also been honoured by 
Uttar Pradesh Hindi 
Sansthan।
यह समाचार पढ़ कर आप यह तो समझ गये होंगे की अमरकांत जिन बातो से पूरी उम्र बचते रहे ,अब अपने अन्तिम समय में उन्ही बातो को झेलने के लिये लाचार हैं।
अमरकांत जी से मेरी पहली मुलाकात २००६ में उनके इलाहबाद स्थित मकान में हुई । उन दिनों अमरकांत गोविंदपुर के एल.आई.जी.मकान में रहा करते थे.साथ ही उनके बेटे (अरविन्द)और बहु भी रहा करते थे । अरविन्द अमर कृत प्रकाशन चला रहे थे और बहाव नामक पत्रिका का सम्पादन भी कर रहे थे । कुल मिलाकर आमदनी का कोई ठोस आधार नही था। उपर से अमरकांत जी बीमार रहते थे । आज की तारीख में उनकी दवाओं पर हर दिन ५००० खर्च हो रहा है । ऐसे में मजबूर हो कर अमरकांत ने अपनी आर्थिक सहायता के लिये अपील जारी की।
इस अपील को ले कर साहित्य जगत में हंगामा मच गया। मदद तो दूर की बात लोगो ने इसे पैसे कमाने का हथकंडा मानकर इसके विरुद्ध लिखना शुरू किया । दो तरह की बाते सामने आई । कुछ सरकारी संस्थानों से मद्दद भी मिली तो कईयों की आलोचना भी सहनी पड़ी ।
मैं ने अपना शोध कार्य हाल ही मे अमरकांत पर ही पूरा किया है । मैं अमरकांत की हालत से अच्छी तरह परिचित हूँ । उन्हे सच में आर्थिक सहायता की जरूरत है । ऐसे में मैं बस इतना कहना चाहता हूँ की अगर हम उनकी कोई मदद नही कर सकते तो हमे उनका निरर्थक विरोध भी नही करना चाहिये .