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Sunday, 18 August 2013

१४ सितंबर – हिंदी दिवस

           












हिंदी दिवस
मनाने  का भाव
अपनी जड़ों को सीचने का भाव है
राष्ट्रियता से जुड़ने का भाव है  
भावभाषा को अपनाने का भाव है
हिंदी दिवस
एकता , अखंडता और समप्रभुता का भाव है
उदारता , विनम्रता और सहजता का भाव है
समर्पण,त्याग और विश्वास  का भाव है
ज्ञान , प्रज्ञा और बोध का भाव है
हिंदी दिवस
अपनी समग्रता में
खुसरो ,जायसी का खुमार है
तुलसी का लोकमंगल है
सूर का वात्सल्य और मीरा का प्यार है
हिंदी दिवस
कबीर का सन्देश है
बिहारी का चमत्कार है
घनानंद की पीर है
पंत की प्रकृति सुषमा और महादेवी की आँखों का नीर है

हिंदी दिवस
निराला की ओजस्विता
जयशंकर की ऐतिहासिकता
प्रेमचंद का यथार्थोन्मुख आदर्शवाद
दिनकर की विरासत और धूमिल का दर्द है

हिंदी दिवस
विमर्शों का क्रांति स्थल है

वाद-विवाद और संवाद का अनुप्राण है
यह परंपराओं की खोज है
जड़ताओं से नहीं , जड़ों से जुड़ने का प्रश्न है
हिंदी दिवस
इस देश की उत्सव धर्मिता है
संस्कारों की आकाश धर्मिता है
अपनी संपूर्णता  में,
यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता है ।


                                          
                            


                   


                   डॉ. मनीष कुमार सी. मिश्रा
                    www.onlinehindijournal.blogspot.com
                    manishmuntazir@gmail.com





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