हमारे बीच सिर्फ़ खामोशियाँ थीं
दिल के समंदर में बंद सीपियाँ थीं ।
हम दोनों साथ चलते भी तो कैसे,
बड़ी संकरी समाज की गंलियाँ थीं ।
सोचकर अपने कल के बारे में ,
बाग़ की डरी हुई सभी कलियाँ थीं ।
उनके बिना अजीब सा सूनापन है ,
बेटियाँ तो आँगन की तितलियाँ थीं ।
जो कोख में ही मार दी जाती हैं ,
उनका कसूर था,वो लडकियां थीं ।
जिस घाटी में आज सिर्फ़ बारूद है,
VANHI PAY KABHI KAISAR KI KYAARIYAAN THEEN ।
Sunday, 19 April 2009
उनका कसूर था,वो लडकियां थीं --------------------------
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good lines write some more keep it up keep going ALL THE BEST PREMA CELESTINE
ReplyDeletehi nice lines, write some more, keep the good work going ALL THE BEST prema celestine
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