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Sunday, 9 August 2009
अभिलाषा -५
मेरी जीवन वीणा मे ,
सारे स्वर तुझसे ही हैं ।
छेड़ूँ
जिस भी तार को मैं ,
सब मे तेरा संगीत प्रिये ।
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