3 अगस्त 1916 जाने-माने शायर शक़ील बदायूंनी की जन्मतिथि है
उनकी ग़ज़ल ------------------------
कैसे कह दूँ कि मुलाक़ात नहीं होती है
रोज़ मिलते हैं मगर बात नहीं होती है
छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
अब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है
हाल-ए-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है
जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो ‘शक़ील’
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है
छुप के रोता हूँ तेरी याद में दुनिया भर से
अब मेरी आँख से बरसात नहीं होती है
हाल-ए-दिल पूछने वाले तेरी दुनिया में कभी
दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है
जब भी मिलते हैं तो कहते हैं कैसे हो ‘शक़ील’
इस से आगे तो कोई बात नहीं होती है