Showing posts with label 14. अमलतास के गालों पर । http://www.manishkumarmishra.com/. Show all posts
Showing posts with label 14. अमलतास के गालों पर । http://www.manishkumarmishra.com/. Show all posts

Thursday 11 April 2019

14. अमलतास के गालों पर ।

अपने एकांत में 
अपनी ही खामोशियाँ सुनता हूँ 
सुबह की धूप से
जब आँखें चटकती हैं 
तो महकी हुई रात के ख़्वाब पर 
किसी रोशनी के 
धब्बे देखता हूँ । 

धुंधलाई हुई शामों में 
कुछ पुराने मंजरों का 
जंगल खोजता हूँ 
फ़िर वहीं 
ख़्वाबों की धुन पर
अमलतास के गालों पर 
शब्दों के ग़ुलाल मलता हूँ ।

तुम्हारी दी हुई
सारी पीड़ाओं के बदले 
मैं 
प्रार्थनाएं भेज रहा हूँ 
करुणा के घटाओं से बरसते 
उज्ज्वल और निश्छल
काँच से कुछ ख़्वाब हैं 
जिन्हें फ़िर
तुम्हारे पास भेज रहा हूँ ।

हाँ !!  
यह सच है कि 
तुम्हारे बाद 
मेरे कंधों पर 
सिर्फ़ और सिर्फ़ समय का बोझ है 
फ़िर भी 
किसी अकेले दिग्भ्रमित 
नक्षत्र की तरह
मैं समर्पण से प्रतिफलित 
संभावनाएं भेज रहा हूँ ।

          ----- डॉ मनीष कुमार मिश्रा ।

उज़्बेकी कोक समसा / समोसा

 यह है कोक समसा/ समोसा। इसमें हरी सब्जी भरी होती है और इसे तंदूर में सेकते हैं। मसाला और मिर्च बिलकुल नहीं होता, इसलिए मैंने शेंगदाने और मिर...