Showing posts with label साझा. Show all posts
Showing posts with label साझा. Show all posts

Monday, 19 December 2011

साझा


     साझा

मैंने उस दिन ऐसे ही कहा कि-

तुम बड़ी चालाक हो,

सब के साथ कोई न कोई रिश्ता बना कर रखती हो .

इस पर उसने फिर कहा –

तुम्हारे साथ कौन सा रिश्ता है ?

मैंने कहा –

 प्यार, विश्वास और दोस्ती का ।

उसने कहा -

  प्यार मैं तुम्हें करती नहीं

विश्वास तुम मेरा तोड़ चुके हो

और जिस पर विश्वास न हो, वह दोस्त कैसा ?

उसकी बातें कड़वी थी, पर सच्ची थी ।

मेरी खामोशी ने उसे पिघलाया और वह बोली –

मेरा तुम्हारे साथ अतीत का रिश्ता है,

जो वर्तमान मे अपनी पहचान खो चुका है

लेकिन मेरा वर्तमान और भविष्य ,

मेरे अतीत से बेहतर नहीं है

 और हो भी जाए तब भी ,

 अतीत की बातें मैं भूल नहीं सकती

क्योंकि मैं  

 सब के साथ कोई न कोई रिश्ता बना कर रखती हूँ ।

इतना कहकर वो मुस्कुराने लगी ।

मन ही मन मुझे गुदगुदाने लगी ।


डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित

 डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित  दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...