Showing posts with label बोध कथा २७ : जिसका सहज-सरल स्वभाव है. Show all posts
Showing posts with label बोध कथा २७ : जिसका सहज-सरल स्वभाव है. Show all posts

Monday, 19 April 2010

बोध कथा २७ : जिसका सहज-सरल स्वभाव है

एक दिन बादशाह अकबर ने दरबार में आते ही दरबारियों से पूछा – किसी ने आज मेरी मूंछें नोचने की जुर्रत की। उसे क्या सज़ा दी जानी चाहिए।

दरबारियों में से किसी ने कहा – उसे सूली पर लटका देना चाहिए, किसी ने कहा उसे फाँसी दे देनी चाहिए, किसी ने कहा उसकी गरदन धड़ से तत्काल उड़ा देनी चाहिए।

बादशाह नाराज हुए। अंत में उन्होंने बीरबल से पूछा – तुमने कोई राय नहीं दी!
बादशाह  धीरे से मुस्कराए,  बोले - क्या मतलब?
जहाँपनाह, ख़ता माफ हो, इस गुनहगार को तो सज़ा के बजाए उपहार देना चाहिए – बीरबल ने जवाब दिया।  जहाँपनाह, जो व्यक्ति आपकी मूँछें नोचने की जुर्रत कर सकता है, वह आपके शहजादे के सिवा कोई और हो ही नहीं सकता जो आपकी गोद में खेलता है। गोद में खेलते-खेलते उसने आज आपकी मूँछें नोच ली होंगी। उस मासूम को उसकी इस जुर्रत के बदले मिठाई खाने की मासूम सज़ा दी जानी चाहिए – बीरबल ने खुलासा किया।

बादशाह ने ठहाका लगाया और अन्य दरबारी बगलें झांकने लगे। 
           आखिर किसी निर्मल बाल हृदय को इससे जादा कोई सजा दी भी क्या जा सकती थी. बच्चों क़ी मासूमियत सब को अपना बना लेती है . इस कहानी से हमे यह सीखने को मिलता है क़ि बहुत अधिक चतुराई और तीन-तिकडम पर सहजता और स्वाभाविकता अधिक भारी पड़ती है .
             किसी ने लिखा भी है क़ि ------------------------------- 
                        '' जिसका  सहज-सरल स्वभाव है 
                      उसकी हर मुश्किल आसान है ''

                          

What should be included in traning programs of Abroad Hindi Teachers

  Cultural sensitivity and intercultural communication Syllabus design (Beginner, Intermediate, Advanced) Integrating grammar, vocabulary, a...