नीरज का नाम कौन नही जनता है ,हिन्दी साहित्य मे ? लेकिन जब मैने बाल कवि बैरागी के मुह से यह सुना की आज भी जिस कवि को ४ पीढियां एक साथ सुनती हैं ,वह कोई और नही बल्कि कवि नीरज ही हैं।
नीरज के बारे मे उन्होने बताया की एक बार जब नीरज के साथ बैरागी जी काव्य पाठ कर रहे थे तो बैरागी जी ने कहा की- आप के मर जाने के बाद हम लोग तो आप को कन्धा भी नही डे पायेंगे ।
इस पर नीरज ने पुछा -क्यों आप ऐसा क्यों कह रहे हो ?
बैरागीजी बोले- जब आप की शव यात्रा निकले गी तो हमे कन्धा देने के लिये बिना चप्पलो के चलना होगा ,और ऐसे मे आप की प्रेमिकाओं की टूटी हुई चूडियाँ हमारे पैरों मे चुभेंगी । तो आप ही बताओ हम कैसे चल पायेंगे ।
इतना सुनते ही नीरज ने बैरागी जी को गले लगा लिया । बात मजाक मे khatm ho gai । lekin jo niraj ko kareeb say jaantay hain vo इस बात की गहराई को समझते हैं । प्यार मे कोई बरबाद नही होता । प्यार हमे उदार बनता है ,samvaidansheel banata hai , yahaa tak ki maanav ko मानव भी प्रेम ही बनता है । प्रेम से बचो मत --------इसमे गहरा उतारने की कोशिस करो । तुम्हारी जय हो गी -------प्रेम करो ---प्रेम बांटो -----------------------------------------------------------------------------------
Showing posts with label कवि नीरज. Show all posts
Showing posts with label कवि नीरज. Show all posts
Thursday, 12 March 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
कथाकार अमरकांत : संवेदना और शिल्प कथाकार अमरकांत पर शोध प्रबंध अध्याय - 1 क) अमरकांत : संक्षिप्त जीवन वृत्त ...