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Saturday, 30 January 2010

सपनो से भी जादा कुछ हो .

मैं जितना सोचता हूँ,
तुम उससे जादा कुछ हो .
गीत,ग़ज़ल,कविता से भी,
जादा प्यारी तुम कुछ हो .
प्यार,मोहब्बत और सम्मोहन,
 इससे बढकर के भी कुछ हो . 
 रूप,घटा,शहद -चांदनी,
 प्यारी इनसे जादा कुछ हो . 
 जितना मैंने लिख डाला,
 उससे जादा ही कुछ हो .
 शायद मेरी चाहत से भी,
 सपनो से भी जादा कुछ हो .