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Saturday, 19 June 2010

उन आखों की उलझन को सुलझायुं कैसे ,

ऊन आखों की उलझन को सुलझायुं कैसे ,
ऊन सहमे हुए भावों को समझाऊं कैसे ,
रह कर गैर की बाँहों में भी जों सोचे मुझको ,
ऐसे दिलदार को दर्द बतलाऊं भी कैसे ?

Thursday, 17 June 2010

मेरे सब्र का इम्तहान ले रहा कब से /

सब्र का इम्तहाँ ले रहा कब से,मोहब्बत से खेल रहा अब तो,

राह बदल भी देते मगर मजबूरी है, उस बिन जिंदगी अधूरी है/

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मेरा जहन से तू निकला ही नहीं ,

मेरी यादों में तू रहा भी नहीं ;

तू कभी साथ था मेरे पर उसको हुआ बरसों ,

क्यूँ मेरे अश्कों से तेरा रिश्ता टुटा ही नहीं /

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Sunday, 9 May 2010

मेरा दिल है बावरा तेरी मुलाकात के लिए ,

मेरा दिल है बावरा तेरी मुलाकात के लिए ,

सिने में जलती मशाल है तेरे प्यार के लिए ;

सोचों में दिन गुजरा यादों में रात ,

मेरी आखें सुनी है तेरे इक ख्वाब के लिए /

Saturday, 27 March 2010

ऐ मोहब्बत

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तेरी मोहब्बत के निशा बाकि है ;
आखों में आंसूं ,तन्हाई का कारवां बाकि है ;
भूलूं भी कैसे तेरी मेहरबानियाँ ,
ऐ दर्दे मोहब्बत तेरा बयां बाकि है /
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Sunday, 13 December 2009

तो कोई बात न थी /

तेरे बुलावे का इंतजार करता रह गया ,

सपनों को ख्वाब करता रह गया ;

दिल आखों से ना बह जाए कहीं ,

मै जजबातों पे इख़्तियार करता रह गया /

उनमे अहसास ना होता तो कोई बात न थी ,

उन्हें प्यार ना होता तो कोई बात न थी ;

रवायतों जिंदगी की कवायतों ने उन्हें थाम लिया ,

तेरी तमन्नाओं की फरियाद होती तो कोई बात न थी /

आशाओं के तिनके ने मुझे थाम लिया ,

हताशा टूट भी जाती तो कोई बात न थी /

मैं ना का इंतजार करता रह गया ;

तू मेरी मौत पे भी ना आती तो कोई बात न थी /

Wednesday, 19 August 2009

दिल पे अंधेरे का डर सा है /

दिल पेAlign Centre अंधेरे का डर सा है ;
ख्वाबों में भी उजाला कम सा है ;
उलझन नही है उससे दुरी की ;
मोहब्बत का नशा भी कम सा है /
ह्रदय की गहराईयों में एक चुभन सी है ;
मन की उचाईयों में हँसी नम सी है ;
भरोसा कैसे न करे अपनी मोहब्बत पे ;
उसके न होने पे ये मुस्कराहट भी गम सी है /