Wednesday, 5 May 2010
गुजरे वक़्त का साथ कैसा ,
बीते लम्हों के हमखास ना होना ;
यादें गर तुझे तड़पायें भी ,
पुराने सपनों के साथ ना होना ;
.
गुजरे वक़्त का साथ कैसा ,
गया वक़्त आज कैसा ;
भाव तो करेंगे अपनी कारागिरी ;
जों बदल गया फिर उसका साथ कैसा /
Friday, 19 March 2010
तुझे याद नहीं मै करता ,
तुझे याद नहीं मै करता ,
तू रोज मुझे सपनों में दिखता ;
तुझे याद नहीं मै करता ;
दिन भर उलझा रहता हूँ कामों में ,
थम जाता हूँ राहों में ,
पत्नी बच्चों की आकान्छाओं को ,
पूरा करना है अपनो की आशाओं को ;
सो जाता हूँ इसी उधेड़बुन में ,
और तू आ जाता है ख्वाबों में ;
तुझे याद नहीं मै करता ,
तू रोज मुझे सपनों में मिलता;
वक़्त मिले तो परिवार की उलझन ,
कभी बीमारी कभी पैसों का क्रंदन ;
बहुधा तेरी विधी से चलता हूँ ,
पर याद नहीं तुझे करता हूँ ;
अनजान पलों में नाम तेरा मुंह पे आता है ,
एक पल को हाथ तेरी छाया छू जाता है ;
पर याद नहीं तुझको करता हूँ ;
दिल पे मै पत्थर रखता हूँ ;
तुझे याद नहीं मै करता ,
तू सपनों में मुझपे हँसता ;
तुझे याद नहीं मै करता ,
तू मेरे हर सपनों में रहता ,
तुझे याद नहीं मै करता /
Tuesday, 2 March 2010
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
याद अब भी है तेरी धड़कन औ हसना तेरा ;
गुलाबी गालों की रंगत आखों में सपना सजा ,
पलकें आशा से खिली बातों में मोहब्बत घुली ,
महकते ख्वाबों की लचकन सुहानी रातों की धड़कन ;
वो अहसासों की तरन्नुम वो उमंगों की सरगम ,
नयनो की शिकायत आभासों के रेले ,
वो अरमानो की दुनिया सपनों के मेले ,
वो बंधन की राहें स्वच्छंदता के खेले ,
वो साँसों खुसबू ,बेखुदी में तुझे छुं ले ;
यादों के फूलों में चेहरा तेरा ,
तू ही बता तुझे यार हम कैसे भूले ?
Thursday, 12 November 2009
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /
सामने बैठ तुम कॉलेज की बातें किया करती थी ,
मेरी धडकनों के अंदाज बदल जाया करते थे ;
अपनी सहेलियों की शरारतें बता जब इठलाते थे तुम ,
मेरे अहसास नही दुनिया बसाया करते थे ;
तेरी हँसी का एक शमा बना होता था ,
हम तेरे खुबसूरत चेहरे को निहारा करते थे ;
जब कभी आहत होती किसी के बात पे तू ,
तेरी उदासी को तेरे सिने से चुराया करते थे ;
जब तेरा दिल भर आता अपनो के कारण कभी ,
तेरे ग़मों को अपने ह्रदय में छुपाया करते थे ;
हर रोज सुबह नहा के तेरे निकालने का इंतजार हम करते ,
तुझे देख हर रोज नए सपने बनाया करते थे ;
भोर हुए आखं मलते जब तुम सामने मेरे आते ,
कैसे हम एक दूजे की सिने से लगाया करते थे ;
मन्दिर जब भी गए संग तेरे हम,
तेरी खुशियाँ मांग तेरे मांग में सिंदूर भरा करते थे ;
कभी पल मुस्कराया करते थे ,
कभी क्षण गुनगुनाया करते थे ,
होते थे जब भी तुम कहीं आस पास ;
वो लम्हे खिलखिलाया करते थे /
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