अमरकांत क़ी कहानी -मुलाकात :-
'मुलाकात` कहानी में अमरकांत ने कुसुमाकर नामक साहित्यकार के माध्यम से लेखकों - साहित्यकारों की दयनीय स्थिती और इसका उनके व्यवहार पर होनेवाले प्रभाव का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया है।
साहित्यकार कुसुमाकर से मिलने प्रथमेश सिन्हा उनके घर जाते हैं। बातों ही बातों में वे कुसुमाकर को यह बताते हैं कि उन्होंने अपने कॉलेज के फंक्शन में 'मिरजई` नाम कहानी पर नाटक रखवाया था। 'मिरजई` कुसुमाकर की लिखी कहानी थी।
यह सुनकर कुसुमाकर पहले यह पता लगाने का प्रयत्न करते हैं कि उस नाटक के लिए टिकट कितने का रखा गया था। फिर वे प्रथमेश से रायल्टी की बात करते हैं। जब अपनी असमर्थता प्रथमेश उन लेखक महोदय के सामने रखते हैं तो वे दो-पाँच रूपये पर आ जाते हैं। वे कहते हैं कि रायल्टी लेना उनका अधिकार है और वे इसी सिद्धांत पर कायम रहना चाहते हैं। फिर भले ही उन्हें एक ही रूपया क्यों न मिले।
लेखक की इस तरह की बातें सुनकर प्रथमेश संकोच करते हुए भी दस रूपये निकालकर लेखक को देते हैं और जाने के लिए अनुमती मांगने लगते है। लेखक लापरवाही से नोट जेब के हवाले करते हैं और प्रथमेश को याद दिलाते हैं कि उनकी किताबों के लिए कोई आर्डर हो सके तो वे प्रयास करें।
यहीं पर कहानी समाप्त हो जाती है। लेखक का इतना असहज व्यवहार जीवन यापन की कठिन सच्चाई और लेखकों की हालत को हमारे सामने प्रस्तुत कर देती है।
Showing posts with label अमरकांत क़ी कहानी -मुलाकात. Show all posts
Showing posts with label अमरकांत क़ी कहानी -मुलाकात. Show all posts
Tuesday, 27 April 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...