जो रंजो गम दे वो राहत पाए
किसी यार की वो चाहत पाए ।
रूह में इश्क की आग जला
मुनव्वर मुर्शीद की आदत पाए ।
इल्म और अमल की राह पर
मुरीद वस्ल की अमानत पाए ।
जमाल -ए- यार के रंग में रंगकर
वो उसी यार की शबाहत पाए ।
मनीष कुमार मिश्रा
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