भय से मुक्त होना भी कहाँ तक उपयुक्त है ,
डरना सीखो अर्जुन ये कृष्ण का मुक्त है /
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बधन बने है कालचक्र से ,
बधन बने है कालचक्र से ,
बदलाव जुड़ा है वक़्त से ,
मन बंधा संसार से ,
संसार भी तो समय युक्त है /
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कौन स्वजन कौन परिजन कौन यहाँ पराया है ,
कौन स्वजन कौन परिजन कौन यहाँ पराया है ,
कैसे कहेंगे किसमे सबका हित समाया है /
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भय से मुक्त होना भी कहाँ तक उपयुक्त है ,
भय से मुक्त होना भी कहाँ तक उपयुक्त है ,
डरना सीखो अर्जुन ये कृष्ण का मुक्त है /