भोर आखँ खुलते तेरी याद चली आती है ,
बाँहों में भरकर सिने से लगाती है ,
दिल को प्यास जीवन को आस दिए जाती है ,
भोर हुए तेरी याद चली आती है /
पल भर को जो हुआ अकेला ,
तेरे भावों ने आ मुझको घेरा ,
धड़कन को अहसास वो देते ,
गम को विश्वास वो देते ,
रातों में बिस्तर पे जब लेटा ,
तेरी बातों का होता सबेरा ,
नयनो में सपने आते हैं ,
तन मन पुलकित हो जाते हैं ,
भोर हुयी फिर यादें आती हैं ,
वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं ,
कैसे तुझसे दूर मै जाऊं ,
कैसे मन मन्दिर फुसलाऊं,
भोर हुए तेरी यादें आती हैं ,
वो मेरी तन्हाई भर जाती हैं /