मुझे हर मुसीबत से बचा लेती है
माँ जब आँचल में छुपा लेती है
मीलों पैदल मुझे सीने से लगाए
उतरवाने मेरी नज़र चल देती है
वो मेरी खुशियों के खातिर ही तो
जाने कितने उपवास कर लेती है
छुप के दबे पाँव भी घर आऊँ तो
वो मेरी हर आहाट पहचान लेती है
लगता है अपनी हर साँस के साथ
वो मेरे हक़ में दुआएँ मांग लेती है
मेरी जरूरतों से कहीं जादा,बहुत जादा
माँ अपना प्यार मुझपे लुटा देती है
प्यार,विश्वास ,समर्पण और मूल्य
इसकी मिसाल माँ में दिख जाती है