 
 कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु जी ने लिखना तो १९४५ से ही शुरू कर दिया था । लेकिन साहित्य जगत में उनकी पहचान १९५४ में प्रकाशित उनके  उपन्यास  ''मैला आँचल '' से हुई । इस उपन्यास  ने हिन्दी समीक्षा के नए  मापदंड  सामने  लाये  । आंचलिक  उपन्यासों  पर  नई  बहस  इसी उपन्यास  के  माध्यम  से शुरू होती है । इस उपन्यास में पुर्णिया  जिले  के  मेरीगंज  का जिक्र है । जन्हा की पूरी आंचलिकता  उपन्यास  में विस्तार   से चित्त्रित  है । उपन्यास    किसी एक मुख्य  पात्र  पर  केन्द्रित  ना हो कर एक अंचल विशेष   पर  केन्द्रित  है । इस उपन्यास  का  नायक  यंहा  पे  वर्णित अंचल ही है । 
आप ने कुल ६ उपन्यास  लिखे  जिनमे  मैला आँचल , परती परिकथा  ,कितने  चौराहे   और जुलूस  प्रमुख  है । आप ने उपन्यासों  के  अलावा  कहानी  .रिपोर्ताज ,संस्मरण  आदि भी लिखे  । लेकिन एक उपन्यासकार  के  तौर पे  आप को अधिक ख्याति  मिली । 
 
