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Sunday, 9 August 2009

अभिलाषा-2


तू जीवन सरिता का सरगम

संस्कृति का सोपान है तू ।

सारी सृष्टि समाहित तुझमे ,

धरा का तू आधार प्रिये ।


-अभिलाषा