फोन पे हिम्मत
शायद बढ़ जाती है
और हिमाक़त हम कर जाते हैं
मैंने भी की
आख़िर आज
पूँछ ही लिया कि
----- कब मिलोगी ?
उसने कहा
-------- क्यों ? कुछ ख़ास ?
मैंने कहा
------- नहीं, कुछ ख़ास नहीं
हाँ मगर
तुम से मिलना
अक्सर ख़ास होता है
उसने कहा
--------- अच्छा
------ तो फ़िर ठीक है ।