प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है . इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है . वह जो प्रेम करता है जीता है , वह जो स्वार्थी है मर रहा है . इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो , क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है , वैसे ही जैसे कि तुम जीने के लिए सांस लेते हो .
Showing posts with label प्रेम विस्तार है. Show all posts
Showing posts with label प्रेम विस्तार है. Show all posts
Friday 12 April 2013
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
मै बार -बार university grant commission के उस फैसले के ख़िलाफ़ आवाज उठा रहा हूँ ,जिसमे वे एक बार M.PHIL/Ph.D वालो को योग्य तो कभी अयोग्य बता...