हवाओं से बात करता रहा मैं ;
आखें बिछा रखी थी राहों में ,
आसमान ताकता रहा मैं ;
कान तरसते रहे चन्द बोल उनके सुने ,
काटों बीच खुसबू तलाशता रहा मैं ;
सुबह फिजाओं से हाल उनका पूंछा ,
भोर की किरणों में उनको पुकारता रहा मैं /
हवाओं से बात करता रहा मैं ;
हवाओं से बात करता रहा मैं ;
आखें बिछा रखी थी राहों में ,
आसमान ताकता रहा मैं ;
कान तरसते रहे चन्द बोल उनके सुने ,
काटों बीच खुसबू तलाशता रहा मैं ;
सुबह फिजाओं से हाल उनका पूंछा ,
भोर की किरणों में उनको पुकारता रहा मैं /
हवाओं से बात करता रहा मैं ;
डॉ मनीष कुमार मिश्रा अंतरराष्ट्रीय हिन्दी सेवी सम्मान 2025 से सम्मानित दिनांक 16 जनवरी 2025 को ताशकंद स्टेट युनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज ...