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Friday, 7 September 2012

अलसायी सी अंगड़ाई के साथ


अलसायी सी अंगड़ाई के साथ
आज उन्होने फोन पे बात की ।
हाल पूछ कर ,
उन्होने बेहाल किया ।
उनकी खुली-खुली ज़ुल्फों का,
वो मखमली ख़याल ,
मुझे फिर से बहला गया ।
कोई दर्द पुराना था,
जिसे फिर से,
आज वो जगा गया ।
उसकी हर बात,
कविता सी है।
उसने जब भी बात कि
मैं एक कविता लिख ले गया ।
ये सब प्यार का असर है वरना,
वो कहाँ , मैं कहाँ और कविता कहाँ ।
तनहाई यूं तो ,
सबसे बड़ा हमसफर है लेकिन
बिना उसके कुछ अधूरा रह गया ।