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Sunday, 9 August 2009

अभिलाषा-६


तू प्रेम नयन मे जैसे अंजन ,

तू चाहत का प्रेमी खंजन ।

लक्ष्य अलक्षित इस जीवन का ,

तू ही मेरे बना प्रिये ।


अभिलाषा

अभिलाषा-१


मेरा अर्पण और समर्पण

सब कुछ तेरे नाम प्रिये ।

श्वास-श्वास तेरी अभिलाषा,

तू जीवन की प्राण प्रिये ।

Saturday, 8 August 2009

आज तुझे फिर जीने का दिल चाहा है /

आज तुझे फिर जीने का जी चाहा है ;

आज फिर यादों ने दिल ललचाया है ;

बारिश की फुहारों में तन भीगा है ;

तेरी यादों में मन भीगा है ;

भाव मचले हैं कितनी तमन्नाओं के साथ ;

याद आ रहे हैं गुजरे वाकयात /

क्या खूब घटा छाई थी ;

भीगी जुल्फों ने मासुकी फैलाई थी ;

बारिश की बौछारों ने , बहती बहारों ने ,

हमारे तन की आतुरता बडाई थी ;

मन पे मदहोशी छाई थी ;

मखमली बदन के बड़ते अहसास ;

मेरे शरारती हाथों के बड़ते प्रयास ;

लरजते होठों का तपते होठों से गहराता विस्वास ;

बेकाबू जजबातों का ,दो बदनों के बिच मचाया वो उत्पात ;

बारिश का मौसम और वो तूफानी रात ;

आज तुझे फिर जीने का जी चाहा है ;

आज फिर यादों ने दिल मचलाया है /

Friday, 10 April 2009

अब भी मन में प्रीत है लेकिन -------------------

अब भी मन में प्रीत है लेकिन
पहले जैसा वक्त नही
मैं भी वही हूँ तुम भी वही हो ,
पर नही रही वह कसक प्रिये ।

जीवन के सारे राग -विराग
मेरे तुमसे ही जुडते हैं
पर कोई शिकायत तुमसे हो
निराधार यह बात प्रिये ।

प्रथम प्यार की स्मृतियों में ,
छवि तो बिल्कुल तेरी है
वर्तमान में लेकिन इनका ,
कहा कोई आधार प्रिये ।

इस दुनिया में धर्म देवता
सदियों से हमको बाँट रहे
खंड-खंड पाखण्ड में डूबे
बटे हुवे सब धर्म प्रिये ।

इस पाखंडी धर्म नीति को
प्रेम का रिश्ता तोड़ रहा
ऊपर उठ कर जात-पात से
सभी को यह जोड़े है प्रिये ।

Thursday, 19 March 2009

मीठी -मीठी तेरी बोली

मीठी -मीठी तेरी बोली
मन को मोहित करती है
अंदर ही अंदर मै हर्षित
करके तुझको याद प्रिये


उषा की लाली मे ही
नया सवेरा खिलता है
तिमिर भरी हर रात के आगे
रश्मिरथी उपहार प्रिये


पहले कितना शर्माती थी
अब तुम कितना कहती हो
मुझसे मिलकर खिलती हो
लगती हो जैसे परी प्रिये


मरे अंदर जितना तुम हो
उतना हे मैं तेरे अंदर
हम दोनों मे मैं से जादा
भरा है हम का भाव प्रिये

Tuesday, 6 January 2009

प्रेम डगर मे पल दो पल

प्रेम डगर मे पल दो पल ,साथ अगर तुम मेरा देते

गीत नया मफिल मे कोई,हम भी आज सुना देते

अनजानी सी राह मे कोई ,हम दोनों फ़िर जो टकराते

नजरे झुका के अपनी तुम ,फ़िर हौले से तुम जो मुस्काते

गीत नया ----------------

बीच जवानी बचपन मे , हम दोनों जो फ़िर जो जा पते

गुड्डे -गुडियों के जैसे , हम तो ब्याह रचा लेते

गीत नया ---------------------

जितना पागल हूँ मे तेरा ,उतना तुम यदि हो जाते

एक नही फ़िर सात जनम के, साथी हम हो जाते
गीत नया -------------------------