टूटता दिल आवाज क्या करता ,
बहते आंसुओं को हिसाब क्या कहता ;
मचला तो था मेरा भी जिगर कभी ,
उसकी बेवफाई का जवाब क्या कहता /
टूटता दिल आवाज क्या करता ,
बहते आंसुओं को हिसाब क्या कहता ;
मचला तो था मेरा भी जिगर कभी ,
उसकी बेवफाई का जवाब क्या कहता /
कभी इठला के दिल चुराया ,
कभी शरमा के बदन ;
इन्तहा तब हो गयी ,
ढरकता पल्लू औ कहा हमदम /
लास्लो क्रास्नाहोर्काई : 2025 के नोबेल पुरस्कार विजेता हंगेरियाई लेखक बीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जब विश्व साहित्य ने उत्तर-आधुनिक य...