यदि आप हिंदी में संचालन का शौख रखते हैं तो आप को निम्नलिखित शेरों एवं काव्य पंक्तियों से काफी मदद मिलेगी . ये मेरे लिखे हुए नहीं हैं .इन्हें तो मै बस संचालकों की सुविधा के लिए दे रहा हूँ .
१- खुदी को कर बुलंद इतना,
की हर तकदीर से पहले,
खुदा बन्दे से खुद पूछे ,
बता तेरी रजा क्या है .
२- ज़माने को जन्हा तक पहुंचना था,वो पहुँचता रहा
मेरा कद ऊँचा था सो ऊँचा ही रहा .
३-कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे में बदल गए
कुछ लोग थे जो वक्त के सांचे बदल गए .
४-प्यास तो रेगिस्तान को भी लगती है ,
लेकिन हर नदी सागर से ही मिलती है.
५- जालिम का कोई धर्म या ईमान नहीं होता,
जालिम कोई भी हिन्दू या मुसलमान नहीं होता .
६-बचपन से सुनते आया था ,की वो घर सलमान का है
लेकिन दंगो के बाद ये जाना की ,वो मुसलमान का घर है .
७-कौन कहता है की आसमान में सुराग हो नहीं सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों .
८-खाली बोतल ,टूटी चूड़ी ,कपडे फटे पुराने से
हम ने सुना है हुए बारामत,मंदिर के तहखाने से .
९-इस शहर में सब से झुक के मिलना ,उनकी मजबूरी है
क्योंकि इस शहर में कोई उनके बराबर का नहीं है.
१०-अपनी ही आहुति दे कर,स्वयं प्रकाशित होना सीखो
यश-अपयश जो भी मिल जाए,सब को हंस के लेना सीखो .
११-मेहर बाँ हो के बुला लो,चाहो जिस वक्त
मैं गया वक्त नहीं,जो लौट के आ भी न सकूँ .
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Wednesday, 10 February 2010
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