खयालो में भी ख्याल से डर लगता है ,
अजीब वक़्त है ,इन्सान को इन्सान से डर लगता है ;
रास्ते में कौनसा धर्म टकरा जाये ,क्या पहन के निकले डर लगता है ;
सरकारी नौकरी में आरक्छन से कौनसा मातहत, बॉस बन जाये डर लगता है ;
क्या बतायुं किस प्रदेश से आया हूँ कौन कह दे मेरे प्रेदश से निकल जा डर लगता है ;
सांप्रदायिक करार दिया जायुं ; कैसे जायुं मंदिर डर लगता है ;
खयालो में भी ख्याल से डर लगता है ,
अजीब वक़्त है ,इन्सान को इन्सान से डर लगता है /
Tuesday, 28 April 2009
ख्यालों में भी ख्याल से डर लगता है /
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हिन्दी कविता hindi poetry

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bahut hi sahi baat kahi aapne.
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