जाने क्या सोचती हो,
तुम जब भी चुप रहती हो .
खामोश आंसुओं से ,
कितना कुछ कहती हो ,
तुम जब भी चुप रहती हो .
Showing posts with label जाने क्या सोचती हो. Show all posts
Showing posts with label जाने क्या सोचती हो. Show all posts
Thursday, 21 January 2010
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...