घर के अंदर मेरी भी ,इज्जत थी अच्छी-खासी
प्यार किया है जब से मैने,कहते हैं सब सत्यानासी ।
बडे नमाजी उसके अब्बा,पिताजी मरे चंदनधारी
लगता है गरमायेगा ,मुद्दा फ़िर से मथुरा-काशी ।
अच्छा है की लोकतंत्र है ,नही चलेगी तानाशाही
बस इनका यदि चलता तो ,मिलकर देते हमको फाँसी ।
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