सहना जब भी मुश्किल होगा,
दिल का कोई दर्द पुराना .
तो फिर गीतों के शब्दों से,
सहलाऊंगा उसे प्रिये .
इसीलिए तो रचता हूँ,
ताकी बचना संभव हो.
वरना त्रिषिता में तेरी,
ले लेगी तृष्णा प्राण प्रिये .
-----------------अभिलाषा
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Thursday, 4 February 2010
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