मेरी अन्तिम साँस की बेला
मत देना तुलसी गंगाजल
अपने ओठों का एक चुम्बन
ओठों पे देना मेरे प्रिये
इससे पावन जग मे सारे
वस्तु नही दूजी कोई
इसमे प्रेम की अभिलाषा
और उसी का यग्य प्रिये
मेरी अन्तिम शव यात्रा मे
राम नाम तुम सत्य ना कहना
प्रेम को कहना अन्तिम सच
प्रेमी कहना मुझे प्रिये
चिता सजी हो जब मेरी तो
मरघट पे तुम भी आना
आख़िर मेरे प्रिय स्वजनों मे
तुमसे बढ़कर कौन प्रिये ?
श्राद्ध मेरा तुम यूँ करना
जैसे उत्सव या त्यौहार
पर्व अगर जीवन है तो
महापर्व है मृत्यु प्रिये
इंतजार हो मौसम का
इतना धैर्य नही मुझमे
हम जैसो के खातिर ही
होती बेमौसम बरसात प्रिये
मेरा अर्पण और समर्पण
सब कुछ तेरे नाम प्रिये
स्वास-स्वास तेरी अभिलाषा
तू जीवन की प्राण प्रिये
Showing posts with label कविता .. Show all posts
Showing posts with label कविता .. Show all posts
Tuesday, 17 March 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...