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Thursday, 3 September 2015

TRP और रेटिंग की होड़ में

आज का समय नकार और निषेध का है । समय के अभाव का है । सबसे तेज और फटाफट ख़बरें दिखाने की व्यग्रता के बीच समग्रता का पक्ष छूट जा रहा है ।आज़ मीडिया पर लगातार यह आरोप लग रहा है कि उसकी सामाजिक प्रतिबद्धता समाप्त हो रही है क्योंकि वह सामाजिक सरोकारों से दूर हो गया है ।
TRP और रेटिंग की होड़ में जी तोड़ मेहनत तो हो रही है लेकिन आज मीडिया सिद्धांतों,मूल्यों और सरोकारों से दूर होती जा रही है । मीडिया अपनी सीमाएँ भी  लाँघ रही है । न्यायपालिका और सर्वोच्च न्यायालय के ट्रायल और निर्णय के बाद मीडिया ट्रायल किया जा रहा है । मीडिया का यह अतिरेक और अतिवाद देश के लिए घातक है । आज़ मीडिया को स्वस्थ,रचनात्मक,सकारात्मक मन और मस्तिष्क की ज़रूरत है जो बाजार की हवस से अपने आप को और अपने काम को बचाये ।