तुझे कितना मैं सोचता हूं
तेरी तस्वीर जब देखता हूँ ।
कह न सका कभी जो बात तुमसे ,
वह सब तेरी तस्वीर से कहता हूं ।
जिंदगी खुली किताब की तरह ,
बस तेरे आगे ही खोलता हूं ।
जानबूझकर फरेब खाता हूं
असलियत सब की मगर पहचानता हूं ।
तुम सो जाओ तुम्हे आदत नही ,
मेरा क्या,मैं रात भर जागता हूं ।
(mere blog pay jo tasveer aap dekh rehay hain yah google ki painting seva say hi blog par daali gai hai .ismay mera apna kuch nahi hai .kavitao kay saath tasveer adikh prabhavkari lagti hai.)
rujhe kitna main sochta hun
ReplyDeleteteri tasveer jab dekhta hun
bahut hi gahre bhav........kitni gahnata hai in 2 lines mein.