अजातशत्रु हैं विजय ( बंड्या ) साड्वी
श्री विजय (बंड्या ) साड्वी मेरे अनन्य मित्रों ,शुभचिंतकों और मार्गदर्शकों में से एक
हैं . आप के जन्मदिन के उपलक्ष में निकाले जा रहे अभिनन्दन ग्रन्थ के बहाने मुझे
भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का अवसर दिया गया इसके लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ
. अपने इस छोटे से आलेख के माध्यम से मैं अपना अभीष्ट चिंतन आप सभी के साथ साझा कर
रहा हूँ .
आप हमेशा लोगों क़ी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं. संकल्प एवं समर्पण से ही लक्ष्य की प्राप्ति
संभव है। कोई भी व्यक्ति किसी से हारना नहीं चाहता किंतु आप अपने व्यवहार से सब का दिल जीत लेते हैं .
धार्मिक , सामाजिक, राजनितिक , शैक्षणिक और क्रिडा के क्षेत्र में आप
का योगदान हमेशा से ही रहा है . सामाजिक कार्यों क़ी एक सुव्यवस्थित परंपरा आप ने
कल्याण शहर में डाली है .आप सही मायनों में एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में समाज
को एक नई दिशा और कार्यकर्ताओं के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहें हैं .
दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती
के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठां व वफादारी से निभाने की क्षमता
रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए.वरना यह कहकर संतोष कर
लीजिए कि-
" दुनिया में राज-ए-दिल,दोस्ती करते तो हम किससे.
मिलते ही नहीं, जहाँ में हमारे ख्याल के "
साहित्य, समाज और संस्कृति की त्रिवेणी उन
कर्मशील और सृजनशील व्यक्तियों के मार्गदर्शन में परिमल , विमल प्रवाह के साथ बढ़ती है , जो अपनी प्रातिभ दृष्टि से जीवन के हर
कार्य को नई दिशा देते हैं । ऐसे ही प्रतिभा सम्पन्न लोग समाज के सामने एक आदर्श, प्रादर्श और प्रतिदर्श उपस्थित करते
हैं । ऐसे श्रेष्ठ लोग मानव मात्र को ही अपनी प्रेरणा मानते हैं । ऐसे ही कद्दावर
व्यक्तियों में आप का का नाम प्रमुखता से लिया
जाता है । अपनी प्रखरता, निडरता, और सामाजिक दायित्वबोध के साथ जीवन को उसकी संपूर्णता में जीने वाले आप
, हम
सभी के लिए अनुकरणीय हैं ।
हम आप के स्वस्थ , सुखी , कर्मशील, सृजनरत दीर्घायु की मंगल कामना करते हैं
विजय
नारायण पंडित
जोशिबाग
, कल्याण