कई गुलाबो के दामन से,
लिपट-लिपट कर सोया हूँ .
इसीलिए तो रिश्तेदारी ,
काँटों से भी हुई प्रिये .
अभिलाषा---१००
Showing posts with label अभिलाषा---१००. Show all posts
Showing posts with label अभिलाषा---१००. Show all posts
Saturday, 5 December 2009
Subscribe to:
Posts (Atom)
-
अमरकांत की कहानी -डिप्टी कलक्टरी :- 'डिप्टी कलक्टरी` अमरकांत की प्रमुख कहानियों में से एक है। अमरकांत स्वयं इस कहानी के बार...
-
अमरकांत की कहानी -जिन्दगी और जोक : 'जिंदगी और जोक` रजुआ नाम एक भिखमंगे व्यक्ति की कहानी है। जिसे लेखक ने मुहल्ले में आते-ज...