निकलती नहीं खुसबू तेरी सांसों की मन से ,
खिलती नहीं आखें बिना तेरे तन के ;
डूबा रहता हूँ सपनों में मिलन की घड़ियों का ;
पर तू मिलता नहीं कभी बिना उलझाव और अनबन के ;
कभी तो कहा कर प्यार बिना अहसान के ;
कभी तो मान अपना अधूरापन बिना मेरी प्यास के ;
खुद का मान तुझे मेरी मोहब्बत से प्यारा है ;
ऐ जिंदगी मैंने किसपे अपनी मोहब्बत को वारा है /
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