Friday, 16 April 2010

: सत्य क्या है ?: भाग 1

सत्य क्या है ?: भाग 1
 *********************************
                                       '' हमे कभी भी सच का साथ नहीं छोड़ना चाहिए.हमे सत्य क़ी राह पर चलना चाहिए. सत्य को परेशान तो किया जा सकता है लेकिन उसे हराया नहीं जा सकता '' 
                                        ये कुछ बातें हैं जिन्हें सुनते हुवे और सच मानते हुवे जिन्दगी के लगभग ३० वसंत बीत गए हैं. एक दिन अचानक जब धैर्य जवाब देने लगा तो मन में प्रश्न उठा क़ि -आखिर, यह सच होता क्या है ? जिसका साथ दिया जाय . और यंही से सब गुड-गोबर होना शुरू हो गया .जब सोचना शुरू किया तो सबसे पहले ख़याल आया क़ि -इसमें इतना परेशान होने और सोचने जैसा है ही क्या ? सच वही है जो हमे गलत रास्ते पर जाने से रोकता है.बुरे काम करने से रोकता है .अनैतिक आचरण से रोकता है .
             लेकिन यह सोचने के बाद तुरंत फिर मन ने ही कहा ,''भले आदमी,यह कौन निश्चित करेगा का क़ि सही क्या है ?और गलत क्या है ?नैतिक क्या है ? और अनैतिक क्या है ?यह निश्चित करने का अधिकार किसे है ? कंही ऐसा तो नहीं है क़ि ये कुछ ऐसे शब्द हैं जिनकी व्याख्या लोग अपनी सुविधा के अनुसार रचते है ? 
                 यह सोच ही रहा था क़ि कंही पढ़ी हुई, ये पंक्तियाँ याद आ गई   क़ि --------------------------------------------------------------------                        -----''जो उपयोगी है ,वही सत्य है ''  
 शायद यह बात मस्तिष्क में चल रही मेरी सोच को बल प्रदान करने के लिए ही  आई थी. 
  
 

No comments:

Post a Comment

Share Your Views on this..

International conference on Raj Kapoor at Tashkent

  लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...