जिंदगी की राह पे चल रहा हूँ ;
जैसे चलाये जिंदगी चल रहा हूँ ;
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कभी जिंदगी बुला के पास सिने से लगाती है ;
कभी दुत्कार के बातें सुनाती है ;
कभी पथरीले डगरों की राहों में खोये हैं
कभी कातिल जिंदगानी के हिस्सों पे रोये हैं ;
कभी जिंदगी जिंदगी से नाता बताती है ,
कभी ये जिंदगी नहीं मेरी ये गाथा सुनाती है ;
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जिंदगी की राह पे चल रहा हूँ ;
जैसे चलाये जिंदगी चल रहा हूँ ;
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जिंदगी कब बदल जाये कह नहीं सकते ,
कितना भी बदले पर हम जिंदगी से कट नहीं सकते ;
जिंदगी इक पल में खुशियों से दामन भरती है ,
जिंदगी इक पल में आखों को सावन करती है ;
कभी जिंदगी सपने दिखाती है ,
कभी पल में ख्वाब तोड़ जाती है ;
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जिंदगी की राह पे चल रहा हूँ ;
जैसे चलाये जिंदगी चल रहा हूँ /
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