अंहकार मत कर , गलतियों को अधिकार मत कर ;
रिश्तों को मौसम का भाग मत कर ;
अपने भाग्य की बेइंतहा आज़माइश मत कर ;
अपने कर्मों की नुमाइश मत कर ;
अपने स्वार्थ को अपना व्यवहार मत कर ;
किसी के प्यार का उपहास मत कर ;
वक़्त का क्या भरोषा , कब ये बदल जाये ;
मन के अंधेरों का , लफ्जों के थपेडों का ;
अपनो की अवहेलना का ;प्यार की उलाहना का ;
खोयी तमन्ना का ;विस्वास मत कर; कब वो लौटें ;
जिंदगी काटों से भर दे ;आखों को आंसू हर लम्हे को उदासी कर दे ;
इश्क की हमेशा आजमाइश मत कर /अपनी नुमाईश मत कर /
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ताशकंद संवाद: उज़्बेकिस्तान से प्रकाशित पहली ई पत्रिका
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