ONLINE HINDI JOURNAL
Sunday, 9 August 2009
अभिलाषा -७
मन-मन्दिर का ठाकुर तू है ,
जीवन भर का साथी तू है ।
तेरी आँखों का सम्मोहन ,
मेरे चारो धाम प्रिये ।
1 comment:
vandana gupta
10 August 2009 at 16:43
waah ............kya kahne.
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