जैसा की मैंने अपने पहले पोस्ट मे बताया की लड़कियों पे जो सामजिक बंधन लगाए गए उनके पीछे उस समय की परिस्थितिया थी । फ़िर जब अंग्रेजो का शासन शुरू हुआ तो, उन्होंने अपने मतलब के लिए भारतीयों को पढाना -लिखाना शुरू किया । आधुनिक ज्ञान विज्ञान से भारत का युवा वर्ग परचित हुआ । उसने शिक्षा के महत्त्व को समझा । और हम जानते हैं की सन १९०० के बाद से ही सामजिक सुधार आन्दोलन शुरू हो गए । राजाराम मोहनराय ,महात्मा फूले,स्वामी दयानंद सरस्वती कुछ ऐसे ही समाज सुधारक थे । उन्होंने जिन बातों को ले कर आन्दोलन किए ,उनमे कुछ प्रमुख इस प्रकार के है -
- विधवा विवाह
- बाल विवाह
- अंतरजातीय विवाह
- अनमेल विवाह
- जातिगत संकीर्णता
- अंग्रेजी शिक्षा
- दलित शिक्षा
- दलितोधार
- सती प्रथा
- दहेज प्रथा
इसी तरह की कई सामजिक बुराइयों को ले कर आन्दोलन चलाए गए । शिक्षा के प्रचार -प्रसार के कारण पढ़ा -लिखा नया मध्यम वर्ग अस्तित्व मे आया । लड़कियों ने भी शिक्षा ग्रहण की । वे अपनी अधिकारों से परिचित होने लगी । अपने अधिकारों के लिए लड़ने लगी । अपनी पसंद -नापसंद जाहिर करने लगी । अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति देने लगी । यह सब भारत की नई तस्वीर थी । दो पीढियों के बीच संघर्ष की नई स्थिती थी । सरकार नारा दे रही थी की -बेटा -बेटी एक समान , शिक्षा सब का है अधिकार । लेकिन पुराने लोग इस बात को पचा नही पा रहे थे । यह स्थिती अब भी इस देश मे मौजूद है । यह अलग बात है की इसी देश की इंदिरा गांधी,सरोजनी नायडू ,कल्पना चावला ,पी.टी.उषा,सानिया मिर्जा,महामहिम प्रतिभा पाटिल और किरण बेदी जैसी बेटियों ने पूरी दुनिया मे देश का नाम ऊँचा किया है ।
समय बदल रहा है ,और हमारी सोच भी बदल रही है । इस देश मे राखी सावंत जैसी लडकियां फ़िर से स्वयम्वर रचने लगी हैं ,वो भी डंके की चोट पे । आज लडकियां लड़को के साथ कंधे से कन्धा मिला कर काम कर रही हैं । बाजारवाद की बदली हुई परिस्थितियों मे गृहस्थी की गाड़ी पुरूष के साथ मिल के चला रही हैं ।
आवस्यकता सिर्फ़ इस बात की है की हम पूरी इमानदारी के साथ उनकी आगे बढ़ने मे सहायता करे । पुरानी दकियानूसी मान्यताओं को भूलकर सम सामयिक परिस्थितियों के अनुकूल अपनी विचार धारा मे परिवर्तन लायें । हाल ही मे शिक्षा के अधिकार का बिल संसद से पारित हुआ ,यह एक अच्छी पहल है । महिलाओ के लिए ३३ % आरक्षण वाला विधेयक भी जल्द ही पास हो जाना चाहिए ।
इस देश की बेटियाँ इस देश के सुनहरे भविष्य का आधार हैं । अगर भारत को २१वी सदी मे विश्व की एक महाशक्ति के रूप मे उभरना है तो उसे अपनी बेटियों को शिक्षित,आत्मनिर्भर,खुशहाल ओर हर तरह से सक्षम बनाना ही होगा ।
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