चेहरे में उलझन न ढुढ़ो ;
आखों की शरारत न ढुढ़ो ;
मैं बन गया किसी का बरसों पहले ;
अब बातों में मोहब्बत न ढुढ़ो /
न आप रहे , न हम रहे ;
अब तो सिर्फ़ हमदम रहे ;
इतना अरसा गुजर गया हमारे प्यार में ;
कैसे चाहे अब तू ही बता ;की तू मुझसे कम रहे /
https://tashkantsamvad.blogspot.com/?m=1 साथियों , आप के साथ यह खबर साझा करते हुए खुशी हो रही है कि उज़्बेकिस्तान, ताशकंद से हिन्दी की पहली ...
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