चेहरे में उलझन न ढुढ़ो ;
आखों की शरारत न ढुढ़ो ;
मैं बन गया किसी का बरसों पहले ;
अब बातों में मोहब्बत न ढुढ़ो /
न आप रहे , न हम रहे ;
अब तो सिर्फ़ हमदम रहे ;
इतना अरसा गुजर गया हमारे प्यार में ;
कैसे चाहे अब तू ही बता ;की तू मुझसे कम रहे /
लाल बहादुर शास्त्री भारतीय संस्कृति केंद्र ( भारतीय दूतावास, ताशकंद, उज्बेकिस्तान ) एवं ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरिएंटल स्टडीज़ ( ताशकं...
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