भारत देश मे लड़कियों को हमेशा ही दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ा है ,यह सच नही है । कम से कम हमारे वेद-पुराण तो यही कहते हैं ।
यह भारत देश ही है जन्हा स्त्री को देवी मानकर उसकी पूजा सदियों से की जाती है । कहा जाता है की -"जन्हा स्त्रियों का सम्मान होता है ,वन्ही देवता निवास करते हैं । '' बेटियों को घर की लक्ष्मी माना जाता रहा है । उन्हे अपना वर चुनने का अधिकार मिलता रहा । गार्गी और शबरी जैसी स्त्रियों को हम आदि ऋषि माता के रूप मे याद करते हैं । परिवार नामक भारतीय समाज पद्धति मे स्त्रियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है ।
लेकिन धर्म और दर्शन का यह देश लंबे समय तक विदेशी आक्रमण से जूझता रहा ,साथ ही साथ नवीन संस्कृतियों के साथ समन्वय की नीति अपनाता रहा । सामजिक ,आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों ने इस देश मे कई परिवर्तन लाये । जिनमे से एक प्रमुख परिवर्तन रहा स्त्रियों के प्रति सामजिक दृष्टिकोण ।
वह समय जब भारतीय समाज अस्थिरता के दौर से गुजर रहा होगा तो स्त्रियों की सुरक्षा उसकी एक प्रमुख चिंता रही होगी । इसी कारण उसने उनके उपर कई तरह के प्रतिबन्ध लगाए होंगे । जैसे की --
१। स्त्रियों को घर की चार दीवारी मे ही रहने के लिए कहना ।
२। उनका बाहर निकलना बंद करना ।
३। उन्हे शिक्षा से वंचित करना ।
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