युवा सोच को साकार करते स्वामी विवेकानंद
“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत ” अर्थात उठो जागो और ध्येय की प्राप्ति तक मत रुको |स्वामी विवेकानंद द्वारा कही गयी उपरोक्त कथन की प्रासंगिकता आज के दौर के युवाओ के पथ आलोकन हेतु अत्यंत मार्मिक और सहायक हैं|विश्व के सबसे युवा देश होने के नाते भारत भूमि पर विश्व कल्याण करने की दिशा में हमारे हर प्रयासों पर सम्पूर्ण विश्व का ध्यान केन्द्रित हैं|जब हम इस बात पर विचार करते हैं की “ कैसा युवा भारत के यशोवर्धन में सहायक होगा?”, “युवाओ के कौनसे प्रयास से वसुधेव कुटुंबकम का संकल्प चरितार्थ होगा ?”, “युवाओ के उदार चरित्र से कैसे नारी शक्ति के स्वावलंबन और सशक्तिकरण के द्वार खुलेंगे ?” , “युवाओ के सृजनात्मक- रचनात्मक दक्षता से भारत विकसित देशो का सिरमौर कैसे होगा?” “ तमाम झंझावाट के बावजूद भी युवाओ के आध्यात्मिक शक्ति कैसे सुदृढ़ होगी ?” इन सभी प्रश्नों सहित युवाओ संबंधित हर समस्या,संशय व संदेह के निराकरण हेतु एक प्रेरक नाम या यू कहे उत्प्रेरक जो सबके मन – मस्तिष्क पर आच्छादित होता हैं , वह हैं “ स्वामी विवेकानंद”|
एक साधारण परिवार में जन्मे स्वामी विवेकानंद ने विषम परिस्थितियों के हर दस्तक पर मुस्कुराकर विजय पाई| बाल्यावस्था में आर्थिक विषमता ने उन्हें दिग्भ्रमित करने का भरपूर प्रयास किया पर वो हर पथ पर दिग्विजयी रहें |युवावस्था में जब पश्चिमी सभ्यता ने प्रश्नों की बौछार से भारतीय सभ्यता को लहुलुहान करने का दुस्साहस किया तब अपनी “ मेरे अमेरिकी भाई- बहनों “ के शब्द भेदी आगाज से विश्व समुदाय को मौन कर दिया |नारी सम्मान में हम भारतीयों का मानवर्धन के दिशा में उनके कृत्य का स्मरण आज भी आता है की “ कैसे एक विदेशी महिला के विवाह प्रस्ताव और विवेकानंद जैसे पुत्र की प्राप्ति वाले इच्छा पर उनके उत्तरने उनका हृदय जीत लिया”| स्वामी विवेकानंद के सम्पूर्ण जीवन से युवाओ को एक बात जो पूरी तरह समझ आनी चाहिए कि “चरित्र निर्माण एक सतत साधना है तथा व्यक्तित्व विकास एक आध्यात्मिक यात्रा” |
स्वामी विवेकानंद की निस्वार्थता उनके आध्यात्मिकता को समझने का प्रथम सोपान है |जब वर्तमान दौर मे पूजन पद्धति पर जातीय,धार्मिक हिंसाओं मे युवाओ की लिप्तता मिलती हैं तो उनके कथन कि “ अगले ५० वर्षो तक के लिए सभी देवी देवताओं को ताक पर रख दो,पूजा करो तो केवल अपनी मातृभूमि की,सेवा करो अपने देशवासियों की,वही तुम्हारे जाग्रत देवता हैं” की महता और अधिक प्रभावी हो जाती है |युवाओ के प्रेमी परिभाषा को भी स्वामी विवेकानंद ने शिकागो धर्म सम्मेलन मे चरितार्थ किया की अपनी जन्मभूमि,सभ्यता या व्यक्ति का प्रेम देहिक नही दैविक हो , प्रेम ऐसा हो जो व्यक्ति का हृदय परिवर्तन करे ना कि धर्म परिवर्तन | शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के पश्चात भारतीय सभ्यताओं और व्यक्तियों के प्रति घृणा भरे अवधारणाएं प्रेम रूप में परिवर्तित हो गई|
स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर वीर सावरकर,महात्मा गाँधी,सरदार भगत सिंह,बाल गंगाधर तिलक,महर्षि अरविन्द,रविंद्रनाथ टैगोर,नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ,विपिन चंद्रपाल ,जमशेद जी टाटा ,विनोबा भावे ,ब्रह्मबांधव उपाध्याय जैसे आदि महापुरुषों ने भारत भूमि के यशोवर्धन हेतु अतुलनीय योगदान दिया | आज के युवाओं का अधिक झुकाव आधुनिकता के नाम पर फैलाई जा रही विदेशी षडयंत्रो के पीछे फसे समाज की नग्नता, कामुकता और पशुता ने इस प्रकार जकड लिया हैं की आर्थिक हमलों से भ्रमित होकर ये समझने लगा है कि “ अर्थ ही जीवन का सार तत्त्व है” और आध्यात्म,नैतिकता,सभ्यता,धर्म,राजनीती सभी कुछ अर्थ के अधीन हैं तब ऐसे मे जब युवा सबकुछ बेचने के लिए आतुर हो गया हो तब स्वामी विवेकानंद के “ व्यवहार और सिद्धांत का संतुलन” , “भौतिक और आध्यात्मिकता का समन्वय “, “प्राचीनता और आधुनिकता का सामंजस्य” ही “ अच्छे संस्कार,अच्छे विचार व अच्छा व्यवहार” वाले युवा मस्तिष्क को पोषित,संवर्धित और संरक्षित कर सकता है |
विज्ञान के बढ़ते प्रभाव से विश्व मे व्याप्त वैमनस्यता पर स्वामी विवेकानंद ऐसे युवाओ की फौज चाहते हैं जो “ आध्यातम और विज्ञान का समन्वय करके आणविक युग में सुरक्षा प्रदान कर विकास और शांति की ओर उन्मुख कर सके”| आज युवाओ के मन – मस्तिष्क मे पुराना सब श्रेष्ठ हैं और आधुनिक सब गलत हैं या पुराने को कूड़े में डालो और आधुनिकता अपनाओ इस प्रकार की अंतिमवादी मानसिकता सर्वथा अनुचित हैं | युवाओ को संस्कृत और संगडक समावेश के साथ तालमेल बिठाना होगा | आधुनिक गणित के साथ वैदिक गणित के महत्व को भी समझना होगा| स्वामी विवेकानंद जी द्वारा युवाओ से कहे गये कथन कि “ एक विचार के बारे मे सोचें,सपना देखें और इसी विचार पर जियें|आपके मस्तिष्क और रगों में इन्हीं विचारों का समावेश हो ,यही सफलता का रास्ता हैं” आज भी यह विचार हर अंधकार में प्रकाश देता हैं|
भारत की युवा विश्वस्तरीय संस्थानों से निकलकर जिस प्रकार सृजनात्मक कार्य कर रहें हैं, वह भारत को विश्व गुरु की प्राचीनतम प्रतिष्ठा दिलाने में सफल होगा | पिछले कुछ वर्षो से जिस तरह से भारतीय युवा स्टार्टअप की ओर से तेजी से आकर्षित हो रहे हैं ,वह विकसित भारत की बुनियाद रखने मे सहायक सिद्ध होगा| भारतीय युवाओ को प्रकृति,पर्यावरण और मानवता के प्रति और आधिक संवेदनशील होने की आवश्यकता है | आधुनिकता (तकनीक) के क्षेत्र मे आज भारतीय युवाओं ने अंतरिक्ष,कंप्यूटर नेटवर्क,डाटा बैंक ,डिजिटल करेंसी,पोर्टेबल डिवाइस,वायरलेस कम्युनिकेशन,आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस,मशीन लर्निंग और ड्रोन टेक्नोलॉजी मे उल्लेखनीय प्रगति की हैं| वही दूसरी ओर प्राचीनता(आध्यात्मिकता) के क्षेत्र मे वेद,उपनिषद,रामचरित्रमानस आदि धार्मिक पुस्तक पढ़कर पूर्व,वर्तमान व भविष्य मे तारतम्यता लाने के दिशा मे अपने प्रयास से विश्व को अपने ओर आकर्षित कर रहा हैं | भारत का हर युवा आज भी स्वामी विवेकानंद जी को आदर्श मानकर ,उनके कृतित्व का अनुसरण कर जीवन के उच्च आदर्शो पर चलने में ही गौरव की अनुभूति करता है|
डॉ आशुतोष वर्मा
असिस्टेंट प्रोफेसर
सैम ग्लोबल यूनिवर्सिटी,भोपाल
9889532699
Ashutoshv31@gmail.com
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